क्रांतिकारियों को दुत्कार – राजनेताओं की जय- जय -कार , यही है सत्ता में रहकर स्वन्य का, करने का उपकार
विश्व के एकमेव महान क्रांतिकारी वीर परमवीर विनायक दामोदर सावरकर जिनके दोनों भाई , एक अंडमान जेल व दूसरा पंजाब जेल में क़ैद थे जिनके बारे में विनायक सावरकर को जेल में अंतिम दिनों में पता चला जो ७७ साल पहिले से भारतरत्न के अधिकारी थे
सन् १९४८, गांधी हत्या में इन्हें कांग्रेसीयों द्वारा अपराधी कहकर जब कोर्ट के लताड़ने के बावजूद की सावरकर का नाम इस हत्याकांड में ज़बरदस्ती घसीटने व उनके छवि धूमिल का खेल बताया
तब जवाहरलाल नेहरू ने सन् १९५५ में अपने को मोहनदास गांधी का दास कहकर अपने नाम भारत रत्न “हड़प व गड़प” लिया
मित्रों..,
ये देश की ७७ सालों के इतिहास
में पहले बार चुनावी खेला के समीकरण से विरोधी पार्टियों को वशीकरण से वैतरणी नदी पार करने का सत्ता से सार्थक मंत्र का उदाहरण है