जैसे ही ताज व ट्राइडेंट पाँच सितारा में हमले की खबर सुनते ही सबसे पहिले पुलिस कमिश्नर हसन गफ़ूर अपनी गद्दी से भागकर काफ़ूर व संपूर्ण महाराष्ट्र का मंत्रिमंडल रफ़ूचक्कर हो गया
(२६ नवंबर २००८ – संविधान दिवस बना देश के इतिहास का व्यवधान दिवस )
राज बहादुर मोहन सिंह ओबेरॉय व जमशेद टाटा की आत्मा की आग जो महाराष्ट्र के ग़द्दारों ने लगाई थी वह एकमात्र साधारण कांस्टेबल तुकाराम ओंबले ही थे जिन्होंने इस आग को बुझाया व सत्ताख़ोरों द्वारा उनको सम्मान देने की सुध काफ़ी दिनों बाद आई
याद रहे सीमा पार से आतंकवादियों की चुनौती लगातार आ रही थी मुंबई के होटलों , रेलवे स्टेशनों व शेयर बाज़ार में हमले करने की हमारी पूर्ण तैयारी हो चुकी है
तब भी सत्ताख़ोरों ने गले लगाकर इसे सम्मान देने के लिए पुलिस कमिश्नर के रूप में हसन गफ़ूर को पदोन्नति दी
जैसे ही ताज व ट्राइडेंट पाँच सितारा में हमले की खबर सुनते ही सबसे पहिले हसन गफ़ूर अपनी गद्दी से भागकर काफ़ूर व संपूर्ण महाराष्ट्र का मंत्रिमंडल रफ़ूचक्कर हो गया
उस समय “ भगवा आतंकवाद “ से साध्वी प्रज्ञा सिंग को बदनाम कर अपने को सर्वेसर्वा मानने वाले हेमंत करकरे की अगुवाई व अन्य दो साथियों के हत्या से जब पूरी मुंबई दहल उठी व पुलिस विभाग में सन्नाटा फैला था तब एक जाबाँज ने दिखा दिया कि मौत को गले लगाकर ४०० निरपराधियों की हत्या करने वाले अपराधी को जिन्दा पकड़कर फाँसी के फन्दे पर पहुँचाकर, सत्ताख़ोरों के गोरखधंधों को बंद किया जा सकता है
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ओंबलेजी आपको सलाम, देश की नई पीढ़ी का तुम पर गुमान , भ्रष्ट ग़द्दारों की खोल दी आपने पोल ..,
हमारे होटलों को साज़िश बनाकर देश को डूबाने के खेल का आपने क़ुर्बानी देकर किया पर्दाफाश…, आपको पुनः श्रद्धांजलि.
Salute to you Ombleji, the new generation of the country is proud of you, you have exposed the corrupt traitors..,
With your sacrifice, you exposed the game of sinking the country by making our hotels a conspiracy…, once again a tribute to you.